( लाजवंती : एक पौधा जिसके पत्तो को हाथ लगाते ही वो शर्माकर सिकुड़ जाती है )
Lajwanti (Hindi: लाजवंती)
कभी देखा है लाजवंती को जंगल में
लाजवंती चुपके से आसमान में अपने पर फैलाती है
अपनी बाहे खोल आकाश को गले लगाती है
हवाओ के संग डोलती है
ओस में नहाती है
अकेले में गुनगुनाती है
तितलियों के संग करती है अटखेलियाँ
अपने पूरे वजूद से मस्ती टपकाती है
लेकिन जब कोई नन्हा बालक
आश्चर्य से भरकर अपने कोमल हाथो से उसे छूता है
कैसी हो...सब ठीक -ठाक...तोतली भाषा में हाल-चाल पूछता है
तो लाजवंती न जाने क्यों घबरा जाती है
झटपट नयी दुल्हन कि तरह घूंघट के पीछे छुप जाती है
और काफी मान -मनुहार के बाद भी
उसे अपना दोस्त न बनाती है
बच्चा आशा से भरकर करता है इंतज़ार
काफी देर बाद मौन में होती है कुछ बात
बच्चे का भोलापन शायद लाजवंती का दिल छू जाता है
जब लाजवंती को हो जाता है इस बात का विश्वाश
कि बच्चा न उसकी कोमलता को कुचलेगा
न ही उसके कोमल गात पर कोई जख्म देगा
उसकी स्वतंत्रता और एकांत का पूरा सम्मान करेगा
तो लाजवंती मुस्कुराती है
हौले-हौले अपनी बाहे पसारती है
दिल के द्वार सहज खोल नन्हे बालक को अपनाती है
मेरी लाजवंती भी डरकर सिकुड़ गयी है
और मेरे बाल-मन के इंतज़ार के इम्तेहाँ की घडी है
मेरा ये इंतज़ार तुम्हे निर्भय करेगा
मेरे मन में उठनेवाले गीत जब तुम्हारा ह्रदय सुन सकेगा
तब तुम आओगी
अपना सारा डर छोरकर
मुस्कुराकर गले लगाओगी
उस दिन पूरा होगा इंतज़ार
उस दिन जंगल सुनेगा दो प्रेमियों के ह्रदय के मिलन की किलकार !!!
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