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मिटटी का तन, मस्ती का मन, क्षण भर जीवन ...मेरा परिचय !!! :- हरिवंश राय बच्चन

Monday, June 25, 2012


राजस्थान से मेरी सम्मानित कवियित्री/लेखिका मित्र 'श्री मति रजनी  भरद्वाज' जी की लिखी एक कविता पढ़ने का मौका मिला.. कविता सिंधु और नदी के नोक-झोंक भरे संवाद पर आधारित है जिसका  कवियित्री ने बहुत सजीव और रोचक  चित्रण किया है... कविता पढते हुए  सिंधु की तरफ से उसका पक्ष रखने को को मैं उत्साहित हो उठा और एक कविता लिख डाली...

मित्रों, यहाँ मैं वो दोनों कवितायेँ आपके सामने रखना चाहता हूँ... आशा है आप पढ़ कर आनंदित होंगे...


                क्यों ना कर सकी





स्व की विशालता

के गर्वीले

गुमान में भरे

बेपरवाह

उन्मुक्त

ठठा कर

गर्जन तर्जन करते

सागर को

एकटक

अपलक

तकती

तरिणी का

मन तट

रेतीला हो गया

अनायास ही

पूछ बैठी

सागर से सवाल

"उड़ेलती रही

मीठी शीतल रसधार

तुम में

भरती रही

तुम्हारे अंतस को

अपने सहज मीठे

जल से

देती रही

मन का सरल

स्निग्ध उजलापन

समा कर

तुम में

अपनी निज की

सम्पूर्णता को

फिर भी

क्यों ना

कर सकी

तुम्हारे खार को कम"

:- रजनी भारद्वाज









कोई तो महादेव बनेगा




जलधि का उत्तर कुछ ऐसा होगा शायद... मैं उसकी वाणी को शब्द देने की कोशिश कर रहा हूँ ...

सिंधु मंद मंद मुस्काया
आती-जाती लहरों के शोर में
धीरे से नदिया के कान में बुदबुदाया
ओ प्रेयसी...
ये खारापन कहाँ मेरा है !!!

मिठास नहीं मेरी नियति
कलकल करती
चंचला सी इठलाती जो तुम और तुम्हारी कई सखिया आती हैं
धरा का सारा ज़हर चूस
बुहार-बटोर
योगी का अभिशाप
पतितों का पाप
दंभ- घृणा-लोभ-कपट
इर्ष्या-द्वेष माया झपट
अपने संग लाती हैं –

चेहरे पर लंबे सफर की थकान लिए
क्लांत-मलिन आँचल ओढ़े
जब मेरे दरवाज़े देती हो दस्तक
तो मैं होता हूँ तुम्हारी करुना देख नतमस्तक
विव्हल हो करता तेरा आलिगन
आह्लादित
चुम्बित-प्रतिचुम्बित
पी लेता हूँ तेरा खारापन !!!

फिर से होकर तुम
निर्मल-निर्भार
सुन सूर्य की पुकार
वाष्पित हो निकल पड़ती हो सफर पर हर बार !!
पर नहीं मुझे कोई मलाल
अमृत की सबको दरकार
विष कौन लेगा ???
देवताओ के समुद्र मंथन में
कोई तो महादेव बनेगा !!!


:- प्रशांत कुमार

1 comment:

  1. धरा का सारा ज़हर चूस
    बुहार-बटोर
    योगी का अभिशाप
    पतितों का पाप
    दंभ- घृणा-लोभ-कपट
    इर्ष्या-द्वेष माया झपट
    अपने संग लाती हैं –अमृत की सबको दरकार
    विष कौन लेगा ???
    देवताओ के समुद्र मंथन में
    कोई तो महादेव बनेगा !!!...............is jwab ne to sara mn ka mlal hi dho diya ............kitni niri murkh main nadiya .........apna sora smeta sara klush tujhe soup deti or fir bhi ulahne deti .........tumne jo mujhe aatmgyan diya uska rin kaise chukaungi .........bas or kuchh nhi de sakti ............hr bar aakar tujh me hi samaungi...........tbhi shayad khud ki purnta ko paungi...................sahaj saral apnepan se bhre bhawo ko mera naman...........prashant .........behad sukhad ahsas
    2 seconds ago · Edited · Like

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