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मिटटी का तन, मस्ती का मन, क्षण भर जीवन ...मेरा परिचय !!! :- हरिवंश राय बच्चन

Friday, December 3, 2010

दिल है आवारा तितली



अपने दिल के सुनती 
अपने मन की करती 
सारे अनुमानों को 
झूठा साबित करती 
चलती उन राहों पर 
जो कभी न सोची थी 
दिल है  आवारा  तितली 

एक बाग़, एक देश
एक नदी एक भेष 
सबसे उठ पार चली 
पिछला सब हार चली 
बन उठी है निर्मोही 
दिल है आवारा  तितली 

नेह का पराग पी
फूलो का प्यार जी
डालियों पे झूल झूल
इधर -उधर कुदक- फुदक
थक कर सुस्ता लेती 
फिर अपने पंख सजा 
गाती कोई गीत नया 
अनजानी राहों पर 
मुस्काकर चल देती
दिल है आवारा  तितली 


पंखो में नभ की ललक 
मन में है नयी पुलक 
आँखों में नयी झलक
उडती फिरू वन उपवन
देती सन्देश सुगम
एक डाल एक फूल
सुंदर पा मत ये भूल
नित नए सहस्र गेह 
करती अटखेलियाँ हैं 
तन मन श्रृंगारित  कर 
राह तेरा देख रही 
मत रुक तू एक जगह 
चलता चल चलता चल
सफ़र ही है तेरी नियति 
दिल है आवारा तितली 





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