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मिटटी का तन, मस्ती का मन, क्षण भर जीवन ...मेरा परिचय !!! :- हरिवंश राय बच्चन

Friday, November 19, 2010

अच्छा लगता है

अच्छा लगता है
नीले आसमान को एकटक देखना
उसके अनंत विस्तार के पार देख पाने की कोशिस में थक जाना
अच्छा लगता है
अच्छा लगता है
लम्बे इन्तेज़ार के बाद आई पहली बारिश में नहाना
मिटटी की सोंधी महक को सांसो में भरना
छोटे छोटे पानी से भरे गड्ढो में कूदना
अच्छा लगता है
अच्छा लगता है
स्कूल , कॉलेज और समाज के द्वारा सिखाये गए सारे नियमो को टाक पे रख के
कुछ पल को आवारा हो जाना अच्छा लगता है
अच्छा लगता है
घोडे की तरह रस में दौड़ते दौड़ते थक कर अपने ही दामन में दुबक कर सोना
अच्छा लगता है
अच्छा लगता है
रिश्ते नाते निभाते निभाते कभी उनकी सीमा से बहार छलांग लगाना
अपनों के लिए बेगाना हो जाना
अच्छा लगता है
अच्छा लगता है
जागते जागते सो जाने
और कभी गहरी नींद से बेमतलब जाग जाना
अच्छा लगता है अच्छा लगता है
पहचाने रास्तो पे पता पूछते हुए घर पहुंचना
और अनजाने रास्तो पे निडर होकर बरबस चलना
अच्छा लगता है
अछल लगता है
अपनी पहचान लोगो को बताते बताते
खुद से अपनी पहचान पूछना
अच्छा लगता है
अच्छा लगता है
किसी की आँखों में बस जाना
कभी खुद से आँखे मिलाना कभी आँखे चुराना
कभी जिंदगी के पीछे भागना कभी ठिठक के रुक जाना
कभी खुद पे हँसना,कभी दुनिया पे तरस खाना
इन् सारे गोरख्धधे को दो पल देख पाना
अच्छा लगता है

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