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मिटटी का तन, मस्ती का मन, क्षण भर जीवन ...मेरा परिचय !!! :- हरिवंश राय बच्चन

Friday, November 19, 2010

मेरा आईना

मेरा आईना मुझसे कहता है की मै खूबसूरत हूँ..
मेरा आईना मुझसे बाते करता है,
मुझे सपने दिखाता है ....
मुझमे जोश भरता है
विश्वास जगाता है..
ना जाने कहाँ से मेरे अन्धेरेपन में ढेर सारा उजाला बटोर लाता है ....
मेरा आईना जगमगाता है!!!

जब कभी दिन भर का थका -मांदा घर आता हूँ
मेरा आईना मुझे बाँहों में थाम लेता है....
जब कभी सताया है इस दुनिया ने....
मेरा आईना मेरे हिस्से का ज़हर पीता है ....
मेरे ज़ख्मो पे मरहम रखता है ....
अपने गोद में सर रखकर,थपकी देकर प्यार से सुलाता है
और मेरे हिस्से का रोना अपनी आँखों से सारी रात रोता है......
क्यों ये आईना मेरा हमदम .........मेरा साया है???

मेरा आईना मुझे इतना प्यार क्यों करता है....???
आखिर ऐसी कौन सी बात है जो वो मुझे इतना सहता है!!!
कभी कुछ नहीं कहता ,
बस बेजुबान जानवर की तरह चुप रहता है ,
और मेरी सेवा में लगा रहता है .....


कई बार क्रोध में
अपमान में,प्रतिशोध में
इर्ष्या और द्वेष में
उत्तेजना और क्लेश में
न जाने कितने ऐसे ही दमित भाव बेबाक इस पर निकाले हैं...
अपनी नाकामी और हार इस पर डाले हैं ....
गलियां दी है...फब्तियां कसी हैं...अनायास अकारण जोर जोर से चिल्लाया है
परन्तु आश्चर्य !!!
असंभव....!!!
इस आईने ने चुपचाप मुस्कुराकर हर बार मुझे स्वीकारा है ... गले से लगाया है.....

कौन है ये आईना ???
क्या रिश्ता है इसका और मेरा ???
और कौन है वो शख्श...जो दीखता है मुझे आईने में....
इतना तो यकीन है कि वो मै तो नहीं
पर हू-ब-हू मेरे जैसा ही क्यों दिखता है !!!


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शायद मेरे सतरंगी सपने
मेरे अरमानो की चिड़िया
मेरी ख्वाबो कि दुनिया
मेरी मन की ऊंची उड़ान
चारो एक दिन कहीं साथ में मिले होंगे....
खेला -कूदा
हंसा - गाया
फिर चारो ने कुछ सोचा
और मिलकर मेरा रूप चुराया
बादल की मिटटी ले
इन्द्रधनुष का रंग ले
बारिश का पानी ले
मेरे जैसा एक तन बनाया
हवा से भी चंचल मन बनाया
और फिर मुझे सबकी नजरो से छुपा दिया
..........................................
..........................................

वो मेरा साथ लुका छिपी खेलता है ....
सबसे नज़र बचा वो मुझे आईने के पीछे से देखता है.... मुस्कुराता है ....
और कोई आये इससे पहले ही न जाने कहाँ छुप जाता है ...
फिर अकेले में आकर मेरा पास बैठ जाता है
सुख -दुःख की बाते करता है ...
मुझे सराहता है संवारता है....
और मुझसे कहता है की तुम खूबसूरत हो ...सच्चे हो ...अच्छे हो ...
जी हाँ , मेरा आइना मुझसे बाते करता है .....
मेरी तन्हाई में मेरे संग रहता है .......

2 comments:

  1. mujhe to laga ki ye aina dar asal tum hi ho..tum khud se pyaar karte ho..tum hi apne ap se bat karte ho..khud ko sahte ho..aina to bas khud ko apni hi ankho se dekhne ka ek zariya matr hai..

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